नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा। किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥ दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥ धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥ धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥ प्रगट https://jaibhole.co.in/home/Shree-Shiv-Chalisa
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